Wednesday, March 18, 2015

स्वयं के धर्म को सर्वश्रेष्ठ कहने  से पहले दूसरों के धर्म को जानना भी आवश्यक है.
जिसे जानते ही नहीं उसपर टिप्पणी करना क्या मूर्खता नहीं ?
क्यों न बच्चों को स्कूलों में और घर पर भी हर धर्म के बारे में सीख दें और फिर ये उनपर छोड़ दें  की वे कौन सा धर्म अपनाना चाहते हैं. 
जन्म के आधार पर उनपर कोई भी धर्म थोप देना  क्या उचित है ?
हो सकता है की जब हम हर धर्म को जाने, समझे, तो धर्म के नाम पर होने वाली ये त्रासदियां बंद हो जाएं। हमारा देश (शायद विश्व भी ) सही मायने में सिक्यूलर (sickular) नहीं सेक्युलर (secular ) हो जाए.

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