Saturday, March 26, 2011

तुम्हें चाहने में एक सकून सा मिलता है कहीं...
तुम्हें  हासिल करू ऐसी भी मगर कोई तमन्ना नहीं ....

हर वक़्त के तुम्हारे इंतज़ार में एक मज़ा है कोई .....
तुम शायद कभी ना  आओ पर इस बात की भी  अब मुझे परवाह नहीं.........

एक अरसा हुआ जब तुम मिले थे ,तुम्हे तो शायद अब वो लम्हा भी याद नहीं .....
मेरा वक़्त तो लेकिन तुम्हे ढूंढता सा थम गया है वहीँ पर कहीं .........

कभी एक दर्द , कभी सकून दे जाता है तुम्हारा ख्याल....
दिल को एक यकीन सा है की तुम आस पास हो मेरे कहीं ना कहीं... 

कभी एक लम्हा मुस्कराहट,कभी एक लम्हा आसूं बनकर हर वक़्त साथ हो तुम मेरे....
ज़िन्दगी को तुम्हारे एहसास की अब आदत हो चली है कहीं न कहीं....





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