मेरे
अस्तित्व से तुम्हारा अस्तित्व जुड़ा है,
क्युंकी
मैं पिता हूँ I
मैंने
तुम्हे जीवन दिया,
तुम्हे संभाला अपनी स्नेह की छाया में,
तुम्हे संभाला अपनी स्नेह की छाया में,
कठोर
दुनिया की धुप को तुमसे दूर किया,
पर अब तुम पर मेरा अधिकार कहाँ है ?
पर अब तुम पर मेरा अधिकार कहाँ है ?
मेरे
लिए अंजान हो तुम,
अब
मैंने तुम्हारा कन्यादान किया है I
मेरे अस्तित्व से तुम्हारा अस्तित्व जुड़ा है,
मेरे अस्तित्व से तुम्हारा अस्तित्व जुड़ा है,
क्युंकी
मैं पति हूँ I
मैंने
तुमको एक घर दिया है,
तुम्हारे
जीवन को एक नई दिशा एक नया अर्थ दिया है I
मैं इस जीवन के अंत तक तुम्हारे साथ रहूँगा,
मैं इस जीवन के अंत तक तुम्हारे साथ रहूँगा,
वो
स्त्री जो तुम में अभी कही अधूरी है, मैं उसे पूरा करूँगा I
पर अब मुझे जाना है, तुम्हे एक माँ होने का जो अधिकार दिया मैंने,
पर अब मुझे जाना है, तुम्हे एक माँ होने का जो अधिकार दिया मैंने,
तुम्हे,
उसे निभाना है I
अब मुझसे ज्यादा तुम्हारे अस्तित्व पर उसका अधिकार है,
अब मुझसे ज्यादा तुम्हारे अस्तित्व पर उसका अधिकार है,
अब
मेरा ये अंश ही तुम्हारे जीवन का आधार है I
मेरे अस्तित्व से तुम्हारा अस्तित्व जुड़ा है,
क्युंकी
मैं बेटा हूँ I
मैंने तुम्हारे स्त्रीत्व को पूरा किया है,
एक बेटी, एक पत्नी थी तुम मैंने तुम्हे मातृत्व का सुख दिया है I
पर अब तुम्हारे ममता की छाया से मुझे निकलना है,
मैंने अपने लिए एक पथ चुना है मुझे उसपर चलना है I
तुम्हे एक बेटी, एक पत्नी, एक माँ बनाया हमने,
तुम्हारे अस्तित्व को अपने ढंग में अपनी तरह गढ़ा हमने I
तुम्हे एक नया अस्तिव दे सके वो भूमिका अब हमारे पास नहीं है,
अब तुम्हे अपने लिए एक अस्तित्व गढ़ना है,
तुम क्या हो, जब हम नहीं है
मैंने तुम्हारे स्त्रीत्व को पूरा किया है,
एक बेटी, एक पत्नी थी तुम मैंने तुम्हे मातृत्व का सुख दिया है I
पर अब तुम्हारे ममता की छाया से मुझे निकलना है,
मैंने अपने लिए एक पथ चुना है मुझे उसपर चलना है I
तुम्हे एक बेटी, एक पत्नी, एक माँ बनाया हमने,
तुम्हारे अस्तित्व को अपने ढंग में अपनी तरह गढ़ा हमने I
तुम्हे एक नया अस्तिव दे सके वो भूमिका अब हमारे पास नहीं है,
अब तुम्हे अपने लिए एक अस्तित्व गढ़ना है,
तुम क्या हो, जब हम नहीं है
इस
सवाल का उत्तर ढूँढना है I
पर अब तो जीवन का ये सफ़र ख़त्म होता हुआ है दिखता,
काश ये सवाल तुमने खुद से पहले किया होता।
तुमने एक बेटी, पत्नी और माँ की भूमिका को निपुणता से निभाया,
पर भूल गई तुम खुदको कहीं, ये एहसास तुम्हे कभी नहीं आया।
तुम फिर से आओगी हमारे जीवन में,
पर अब तो जीवन का ये सफ़र ख़त्म होता हुआ है दिखता,
काश ये सवाल तुमने खुद से पहले किया होता।
तुमने एक बेटी, पत्नी और माँ की भूमिका को निपुणता से निभाया,
पर भूल गई तुम खुदको कहीं, ये एहसास तुम्हे कभी नहीं आया।
तुम फिर से आओगी हमारे जीवन में,
पर इस बार अपने अस्तित्व का एक हिस्सा अपने लिए
रखना,
अपनी अभिलाषाओं को अपने रंगों से उसको तुम गढ़ना।
अपनी अभिलाषाओं को अपने रंगों से उसको तुम गढ़ना।